Friday, 13 September 2019

सर्व रक्षा कवच

प्राणों की रक्षा हेतु मंत्र/रक्षा कवच बनाने के लिए
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ज्योतिषीय और वास्तु
हनुमानजी जब लंका से आये तो राम जी ने उनको पूछा कि , रामजी के वियोग में सीताजी अपने प्राणो की रक्षा कैसे करती हैं ?

तो हनुमान जी ने जो जवाब दिया उसे याद कर लो । अगर आप के घर में कोई अति अस्वस्थ है, जो बहुत बिमार है, अब नहीं बचेंगे ऐसा लगता हो, सभी डॉक्टर व दवाईयाँ भी जवाब दे गईं हों, तो ऐसे व्यक्ति की प्राणों की रक्षा इस मंत्र से करो..उस व्यक्ति के पास बैठकर ये हनुमानजी का मंत्र जपो..तो ये सीता जी ने अपने प्राणों की रक्षा कैसे की ये हनुमानजी के वचन हैं..(सब बोलना)

नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट ॥

इसका अर्थ भी समझ लीजिये ।

' नाम पाहरू दिवस निसि ' ..... सीता जी के चारों तरफ आप के नाम का पहरा है । क्योंकि वे रात दिन आप के नाम का ही जप करती हैं । सदैव राम जी का ही ध्यान धरती हैं और जब भी आँखें खोलती हैं तो अपने चरणों में नज़र टिकाकर आप के चरण कमलों को ही याद करती रहती हैं ।

तो ' जाहिं प्रान केहिं बाट '..... सोचिये की आप के घर के चारों तरफ कड़ा पहरा है । छत और ज़मीन की तरफ से भी किसी के घुसने का मार्ग बंद कर दिया है, क्या कोई चोर अंदर घुस सकता है..? ऐसे ही सीता जी ने सभी ओर से श्री रामजी का रक्षा कवच धारण कर लिया है ..इस प्रकार वे अपने प्राणों की रक्षा करती हैं । तो ये मंत्र श्रद्धा के साथ जपेंगे तो आप भी किसी के प्राणों की रक्षा कर सकते हैं ।

रक्षा कवच बनाने के लिए

दिन में 3-4 बार शांति से बैठें , 2-3 मिनिट होठो में जप करे और फिर चुप हो गए। ऐसी धारणा करे की मेरे चारो तरफ भगवान का नाम मेरे चारो ओर घूम रहा हें।

भगवान का नाम का घेरा मेरी रक्षा कर रहा है

बीजमन्त्रों से स्वास्थ्य-सुरक्षा


बीजमन्त्र                    लाभ

कं                            मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त विकृति में।

ह्रीं                            मधुमेह, हृदय की धड़कन में।

घं                             स्वपनदोष व प्रदररोग में।

भं                             बुखार दूर करने के लिए।

क्लीं                           पागलपन में।

सं                         बवासीर मिटाने के लिए।

वं                             भूख-प्यास रोकने के लिए।

लं                             थकान दूर करने के लिए।


बीजमंत्रों का महत्त्व समझकर उनका उच्चारण किया जाय तो बहुत सारे रोगों से छुटकारा मिलता है। उनका अलग-अलग अंगों एवं वातावरण पर असर होता है।
ʹૐʹ के ʹओʹ उच्चारण से ऊर्जाशक्ति का विकास होता है तो ʹमʹ से मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। ʹૐʹ से मस्तिष्क, पेट और सूक्ष्म इन्द्रियों पर सात्त्विक असर होता है। ʹह्रींʹ उच्चारण करने से पाचन-तंत्र, गले व हृदय पर तथा ʹह्रंʹ से पेट, जिगर, तिल्ली, आँतों व गर्भाशय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। औषधि को एकटक देखते हुए ʹૐ नमो नारायणाय।ʹ मंत्र का 21 बार जप करके फिर औषधि लेने से उसमें भगवद्-चेतना का प्रभाव आता है और विशेष लाभ होता है। रात को नींद न आती हो तो ʹशुद्धे-शुद्धे महायोगिनी महानिद्रे स्वाहा।ʹ इस मंत्र का जप-स्मरण करें। स्मरण करते-करते अवश्य अच्छी नींद आयेगी।

दाँत-दाढ़ के दर्द पर मंत्र प्रयोगः

ॐ नमो आदेश गुरु का... बन में ब्याई अंजनी...जिन जाया हनुमंत.... कीड़ा मकड़ा माकड़ा.... ये तीनों भस्मंत.... गुरु की भक्ति.... मेरी भक्ति.... फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।एक नीम की टहनी लेकर दर्द के स्थान पर छुआते हुए सात बार इस मंत्र को श्रद्धा से जपें। ऐसा करने से दाँत या दाढ़ का दर्द समाप्त हो जायगा और पीड़ित व्यक्ति आराम का अनुभव

‘ऐं’ बीजमंत्र मस्तिषक को प्रभावित करता है। इससे बुद्धि, धारणाशक्ति व स्मृति का आश्चार्यकारक विकास होता है।
‘ऐं’ बीजमंत्र मस्तिषक को प्रभावित करता है। इससे बुद्धि, धारणाशक्ति व स्मृति का आश्चार्यकारक विकास होता है। इसके विधिवत जप से कोमा में गये हुए रुग्ण भी होश में आ जाते हैं। अनेक रुग्णों ने इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया है।

‘खं’ बीजमंत्र लीवर, हृदय व मस्तिषक को शक्ति प्रदान करता है। लीवर के रोगों में इस मंत्र की माला करने से

Saturday, 7 September 2019

मोर पंख से वशीकरण और घर के वास्तु दोश मिटाएं

Astha Jyotish asansol, wp.9333112719. Vastu Master (Mkpoddar)
मोर के पंख से वशीकरण मंत्र, बेहद सुंदर पक्षी मोर का पंख अपनी खूबियों के कारण लोकप्रिय है, तो ज्येतिष एवं धर्मिक मान्यताओं के अनुसार इसमें भगवान श्रीकृष्ण के अतिरिक्त दूसरे देवी-देवताओं और नौ ग्रहों का भी वास होता है।

पक्षी शास्त्र में इसके धारण करने एवं विभिन्न अनुष्ठानों में महत्व दिए जाने को लेकर कई तरह  जनश्रुतियां प्रचलित हैं। मोर विद्या की देवी सरस्वती के साथ-साथ भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का भी वाहन है, लेकिन मोरपंख भगवान श्रीकृष्ण के सिर पर शोभा बढ़ता है।


मोर के पंख से वशीकरण मंत्र
इसकी पूजा-आराधना से सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है और कई मनोकामनाएं पूर्ण की जा सकती हैं। साथ ही  मोर के पंख से वशीकरण के तंत्र-मंत्र की साधना किए जा सकते हैं। इससे किए जाने वाले कुछ टोटकों से आए दिन की विभिन्न परेशानियों से छुटकारा भी मिल जाता है।

वशीकरण के मंत्रः मोर पंख को यदि विधि-विधान के साथ अभिमंत्रित कर लिया जाए, तो उससे मनचाहे व्यक्ति का वशीकरण किया जा सकता है। इसका आयोजन किसी भी दिन प्रातः को किया जा सकता है। एक मोर पंख और रूमालनुमा पीला कपड़ा लें। जिसे वश में करना हो उसकी छोटी से तस्वीर और एक ग्लास पानी रखें।

घर के किसी एकांत स्थान पर जाकर किसी भी दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं और अपने सामने मोर पंख को रखें। उसके ऊपर फोटो रखने के बाद पानी की कुछ बूंदों का छिड़काव करते हुए नीचे दिए गए मंत्र का कम से कम 21 और अधिक से अधिक 108 बार जाप करें। मंत्र इस प्रकार हैः- हरे राधे कृष्ण मोहित मोहिनी करो स्वाहा!!

मंत्र जाप के समय भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण अवश्य करें। अंतिम मंत्र जाप के समय वश में किए जाने वाले व्यक्ति का भी ध्यान करते हुए पीले कपड़े में तस्वीर और पंख को लपेट कर अपने पास रख लें। उसके बाद वशीकरण के लिए उस व्यक्ति से मिलने के समय मोर पंख को अपनी जेब में रखें, लेकिन उसे जरा भी पता नहीं चलना चाहिए।

मिलने के समय नजरें मिलाने का प्रयास करें। तीन दिनों के बाद ही वह व्यक्ति आपके वश में आ जाएगा। इसक एहसास होते ही कपड़े में लिपटे मोर पंख को किसी कोने में भारी वस्तु जैसे मोटी किताब आदि से दबा कर रख दें। जब तक यह दबा रहेगा तब तक वह व्यक्ति आपके वश में बना रहेगा। इसे पानी से गीला होने से बचाकर रखना होगा।

तांत्रिक उपायः मोर पंख के साथ तात्रिक उपाय करते हुए मंत्र जाप से अचूक वशीकरण किया जा सकता है। इस प्रयोग को कामाख्या मंदिर में करना चाहिए। संभव नहीं हो तो मां कामख्या देवी का दीपक  हासिल कर लें और दो मोर पंख के साथ घर के एकांत स्थान पर साधना करें।

दिन या रात के ठीक बारह बजे किए जाने वाले इस प्रयोग के रूप में एक मोर पंख कों दाएं हाथ में लेकर अपना नाम बोलें और जलते हुए दीपक के ऊपर से पांच बार घुमाकर सीधा लिटाकर कर रख दें। उसके बाद दूसरे पंख को हाथ में लेकर जिसे वश में करना है उसका नाम लेते हुए पहले की तरह दीपक की लौ के ऊपर से पांच बार घुमाकर उलटकर रख दें।

उल्टा करने का अर्थ पंख के चक्र वाले भाग को उलटने से है, न की डंटल से। साथ ही पंख को दीपक पर घुमाते समय उसके रेशे को नहीं जलना चाहिए। इस तरह से दोनों मोर पंख को एक-दूसरे के ऊपर दबाकर रखते हुए पहले के मंत्र का ही 111 बार जाप करें। जाप के बाद पंख को लाल धागे से बांधकर बबूल के पेड़ पर जितना ऊंचा हो सके बांध दें।

वशीकरण का टोटकाः मोर पंख से वशीकरण करने का एक बेहद ही सरल टोटका है। यह प्रयोग पहले फोटे के ऊपर किया जाता है। एक मोर पंख के साथ फोटो मौली से बांध दें। उन्हें एक सफेद लिफाफे में डालकर किसी मोटी किताब के अंदर दबा दें। कुछ समय बाद फोटो वाला व्यक्ति आपके सम्मोहन में आ जाएगा।

मोर पंख के अन्य उपाय

मोर पंख से कई तरह की परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके लिए साधारण किस्म के टोटका करने की जरूरत है। जिसमें आर्थिक तंगी दूर करने से लेकर बच्चे को नजर लगने से बचाने और विद्यार्जन करने के उपाय आजमाए जा सकते हैं।
धन की रूकावट दूर करने लिए अपनी तिजोरी या बटुए में एक मोर पंख भी रखें। इससे धनागमन की बाध दूर हो जाएगी और आमदनी के नए स्रोत भी बनेंगे।
घरेलू परेशानियों से मुक्ति के लिए घर के अग्नि कोण में मोर पंख रखें। इससे आए दिन अचानक आ धमकने वाली मुसीबतें दूर हो जाती हैं।
घरेलू समस्याओं से छुटकारा मोर पंख की चालीस दिनों तक पूजा कर अपने घर के पूजास्थल पर स्थापित करने से भी मिल सकता है। किसी राध-कृष्ण के मंदिर में एक मोर पंख और कुछ पूजन सामग्री को लेकर जाएं। भगवान श्रीकृष्ण और राधा की मूर्ति के सामने मोरपंख को रखकर विधिवत पूजा करें। प्रसाद वितरण करें और घर में आने वाली बाधाओं को दूर करने की विनती करें। ऐसा 40 दिनों तक करने के बाद मोर पंख को घर के मंदिर में स्थापित कर दें।

ग्राहक वशीकरण ब्यापार लाभ के अचूक प्रयोग

****ग्राहक वशीकरण मंत्र****
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ग्राहक बढाने के टोटके, व्यापार में उन्नति के लिए अचूक टोटका, कारोबार में बरकत के लिए उपाय- आज के समय मे बहुत से लोग ऐसे है जो नौकरी करने की बजाए खुद का व्यापार करना पसंद करते है। ऐसी स्थिति मे व्यक्ति के लिए बढ़ते ग्राहक काफी जरूरी हो जाते है, ताकि व्यापार मे तरक्की होती रहे और काम और अच्छा होता जाये। तो आज हम ऐसे ही लोगो के लिए कुछ खास तरीके, जादू, टोटका व मंत्र साधना के बारे मे बताएँगे जिनहे अपनाकर व्यक्ति ग्राहक पर वशीकरण कर सकता है।
http://vastujyotishsamadhan.blogspot.com
ग्राहक वशीकरण मंत्र
व्यापार या किसी भी कारोबार मे तरक्की के लिय ये एक ऐसा उपाय अब हम आपको बताने जा रहे है, जिसके बारे मे शायद आप न जानते हो। इसके अंतर्गत आप किसी भी सोमवार के दिन नगीने बेचने वाले व्यक्ति से 3 गारनेट के नग  खरीद ले और रात के समय साफ कांच के बर्तन में पानी डाल ले और फिर उस मे इन 3 गारनेट के नग को डुबोकर  खुली जगह रख दे। ध्यान रहे की अगले 9 दिन तक उस बर्तन को वही रखे रहने दे। फिर 9 दिन बाद यानि अगले मंगलवार की शाम को उसे वहां से उठा ले और बुधवार के दिन उन्हे अपनी दुकान या व्यवसाय वाली जगह पानी से निकाल ले। फिर पानी को दुकान मे जगह-जगह छिड़क दे, हर कोने तक। आप उन नगीनों को अपनी टेबिल पर सजाकर सामने रख दे। ऐसा करने से दुकान या व्यापार वाली जगह से नकारात्मक ऊर्जा निकाल जाएगी और सकारात्मक ऊर्जा के आने से व्यापार मे तरक्की होने लगेगी। इस उपाय को अपनाते हुए ध्यान जरूर दे की वो नगीने सम्भालकर रखे दे।

व्यापारियों के लिए ये उपाय सबसे सरल हो सकता है कि अगर वो कोई नया व्यापार शुरू कर रहे है या एक व्यापार से दूसरे व्यापार की ओर रुख करना चाहते है तो पुराने वाली जगह से कोई भी लोहे की चीज़ लाकर नई वाली जगह स्थापित कर दे। जहां उसे स्थापित करेंगे वहां पहले स्वस्तिक का चित्र बना दे और वही थोड़ी काले उड़द की दाल रख दे। इसके बाद इसके ऊपर उस लोहे की वस्तु को रख दे। ऐसा करके वो व्यापारी देख सकेगा की किस प्रकार उसका नया उद्योग भी सफलतापूर्वक चलने लगेगा। इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है की कोई व्यक्ति आपके व्यापार की तरक्की से जलन-भाव रखता है और जादू-टोटकों के माध्यम से आपको नुकसान पहुचाता है, ताकि ग्राहक कम हो जाये और आपका व्यापार खराब हो जाये। पर इस समस्या के समाधान के रूप मे आप सवा एक किलो काले उड़द की दाल के साथ सवा एक किलो कोयला  ले और उसे एक मीटर काले कपड़े में बांध ले। फिर उसे अपने ऊपर से 21 बार घुमाकर किसी भी शनिवार के  दिन बहते पानी मे प्रवाहित कर दे और हनुमान जी का ध्यान जरूर करें। यदि आप इस प्रक्रिया को लगातार 7 शनिवार करें तो यकीनन अपने व्यापार को किसी की बुरी नज़र से बचाते हुए लाभ कमा सकेंगे।

इस बात मे कोई संदेह ही नहीं की हर व्यक्ति अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। इसके लिए आप कुछ खास टोटकों की मदद भी ले सकते है। इसमे आप बिना किसी दूसरे को हानि पहुचाए हुए अपने काम मे तरक्की कर सकते है। ग्राहक बढ़ाने या बिक्री बढ़ाने के लिए आप 11 गुरुवार के दिन अपने व्यापार वाली जगह पर मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वस्तिक का निशान बनाकर वहां पर थोड़ी चने की दाल और गुड रख दे, जिसे अगले हफ्ता उठाकर किसी मंदिर मे दान कर आए। अन्य टोटका ये भी कर सकते है कि शनिवार के दिन पीपल के पेढ से एक पत्ता तोड़कर अपने घर ले आए और उसे गंगाजल से धो ले। इसके बाद उसे 21 बार गायत्री मंत्र के जप से अभिमंत्रित कर ले। अब जब आप इसे अपने काश बॉक्स या तिजोरी मे रख दे। आप इस विधि को हर शनिवार करे और पुराने पत्ते को बदल दे। पुराने पत्ते को या तो आप बहते जल मे प्रवाहित कर दे या पीपल के पेढ को चड़ा दे।

एक बड़ा सरल उपाय आप ये भी कर सकते है कि जो दुकान बहुत चल रही है, या जो भी व्यापार बहुत अच्छा चल रहा है, आप उसके पास से शनिवार के दिन लोहे की कोई चीज़ (कील वगेरा) मांग ले या उसके पास से खरीदकर अपनी दुकान पर ले आए। ऐसा करने से आपकी दुकान भी अच्छी चलने लगेगी। इसके अलावा एक बेहद आम और खास भी उपाय लोग ये करते है की वो अपनी दुकानों पर 7 हरी मिर्ची और एक नींबू की माला बनाकर लटका देते है। जिसे अक्सर हम सभी ने आते-जाते वक़्त कही-न-कही देखा होगा।

अंत मे हम यही कहेंगे की आज की इस प्रतिस्पर्धा भरे महोल मे हर कोई व्यक्ति अपने व्यापार या किसी भी कारोबार की उन्नति के लिए जी-जान से महनत कर रहा है, तो यकीनन ऊपर बताए गए कुछ खास उपाय व टोटके आपकी मदद करेंगे अगर आप भी कोई कारोबार चला रहे है तो, नहीं तो आप इनके बारे मे अपने उन दोस्तों या संबंधियों को भी बता सकते है, जो किसी-न-किसी प्रकार के व्यापार मे लगे है।

Tuesday, 3 September 2019

टोने टोटके उपाय

जादू-टोने टोटके दूर करने के उपाय
*आस्था ज्योतिष, Vastu Master M.poddar जी को व्हाट्सप करें अपनी समस्या हमें
लिख कर भेंजें 9333112719 पर ।

गाय के घी, पीली सरसो, कपूर तथा गुग्गल का धूप बनाकर सूर्यास्त के समय गाय के गोबर से बने उपलों की सहायता से जलाएं। यह धुनी 21 दिनों तक घर में दे । यह घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में रामबाण ईलाज है |
2 केसर, गायत्री तथा जावित्री को कूटकर चूर्ण बना लें तथा उसमें गुग्गल मिश्रित कर प्रातः काल तथा संध्या काल निरंतर 21 दिनों तक घर में धूप दें
3 चार गोमती चक्र लेकर शुक्ल पक्ष के बुधवार को पीड़ित व्यक्ति के ऊपर उतारकर चारो दिशा में फेंक दें।घर में हनुमान चालीसा की चमत्कारी चौपाइयो का सुबह और शाम पीड़ित के सामने पाठ करे
4.नियमित रूप से अपने घर में गौ मूत्र और गंगा जल छिड़कैं।
5.घर के बगीचे में आक तथा तुलसी का पौधा लगाएं।6.नित्य गणेश जी को एक साबुत सुपारी अर्पित करें तथा गरीब को कटोरी भर अन्न दान करें।
7.रविवार के दिन काले धतूरे की जड़ ले और उसका ताबीज बनाकर पीड़ित व्यक्ति को पहनाये
8.लहसून के रस में हींग मिलाकर पीड़ित को सुंघा दें।पीड़ित व्यक्ति को नारायण कवच का पाठ कराये। हमारे ब्लॉग पर  और देखें
vastujyotishsamadhan.blogspot.com

 किसी भी प्रकार के टोने टोटको से परेशान व्यक्ति Vastu Guru (M poddar) जी से सम्पर्क कर उपाय ले सकते है
Astha Jyotish asansol
व्हाट्सप 9333112719.

Sunday, 1 September 2019

चरणामृत और पंचामृत में क्या अन्तर है और इसके लाभ *****

"चरणामृत और पंचामृत में क्या अंतर है..??"
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मंदिर में या फिर घर/मंदिर  पर जब भी कोई पूजन होती है, तो चरणामृत या पंचामृत दिया हैं। मगर हम में से ऐसे कई लोग इसकी  महिमा और इसके बनने की प्रक्रिया को नहीं जानते होंगे।

चरणामृत का अर्थ होता है भगवान के चरणों का अमृत और पंचामृत का अर्थ पांच अमृत यानि पांच पवित्र वस्तुओं से बना। दोनों को ही पीने से व्यक्ति के भीतर जहां सकारात्मक भावों की उत्पत्ति होती है,
 वहीं यह सेहत से जुड़ा मामला भी है।

  चरणामृत क्या है.??

शास्त्रों में कहा गया है -
*अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।*
*विष्णो पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।*

अर्थात :
भगवान विष्णु के चरणों का अमृतरूपी जल सभी तरह के पापों का नाश करने वाला है। यह औषधि के समान है। जो चरणामृत का सेवन करता है उसका पुनर्जन्म नहीं होता है।

कैसे बनता चरणामृत..??

तांबे के बर्तन में चरणामृत रूपी जल रखने से उसमें तांबे के औषधीय गुण आ जाते हैं। चरणामृत में तुलसी पत्ता, तिल और दूसरे औषधीय तत्व मिले होते हैं। मंदिर या घर में हमेशा तांबे के लोटे में तुलसी मिला
 जल रखा ही रहता है।

चरणामृत लेने के नियम :

चरणामृत ग्रहण करने के बाद बहुत से लोग सिर पर हाथ फेरते हैं, लेकिन शास्त्रीय मत है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए और
श्रद्घाभक्तिपूर्वक मन को शांत रखकर ग्रहण करना चाहिए। इससे चरणामृत अधिक लाभप्रद होता है।

चरणामृत का लाभ

आयुर्वेद की दृष्टि से चरणामृत स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना गया है। आयुर्वेद  के  अनुसार  तांबे  में अनेक रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है। यह पौरूष शक्ति को बढ़ाने में भी गुणकारी माना जाता है। तुलसी के रस से कई रोग दूर हो जाते हैं और इसका जल मस्तिष्क  को  शांति  और निश्चिंतता प्रदान करता हैं। स्वास्थ्य लाभ के साथ ही साथ चरणामृत बुद्घि, स्मरण शक्ति को बढ़ाने भी कारगर होता है।

पंचामृत

पंचामृत का अर्थ है.

'पांच अमृत'। दूध, दही, घी, शहद, शक्कर  को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। इसी से भगवान का अभिषेक किया जाता है। पांचों प्रकार के मिश्रण से बनने वाला पंचामृत कई रोगों में लाभ-दायक और मन को शांति प्रदान करने वाला होता है। इसका एक
आध्यात्मिक पहलू भी है। वह यह कि पंचामृत आत्मोन्नति के 5 प्रतीक हैं। जैसे -

 दूध - दूध पंचामृत का प्रथम भाग है। यह शुभ्रता का प्रतीक है, अर्थात हमारा जीवन दूध की तरह निष्कलंक होना चाहिए।

दही- दही का गुण है कि यह दूसरों को अपने जैसा बनाता है। दही चढ़ाने का अर्थ यही है कि पहले हम निष्कलंक हो सद्गुण अपनाएं और दूसरों को भी अपने जैसा बनाएं।

घी- घी स्निग्धता और स्नेह का प्रतीक है। सभी से हमारे स्नेहयुक्त संबंध हो, यही भावना है।

शहद- शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी होता है। निर्बल व्यक्ति जीवन में कुछ नहीं कर सकता, तन और मन से शक्तिशाली व्यक्ति ही सफलता पा सकता है।

शक्कर- शक्कर का गुण है मिठास, शकर चढ़ाने का अर्थ है जीवन में मिठास घोलें। मीठा बोलना  सभी  को  अच्छा लगता है और इससे मधुर व्यवहार बनता है।
उपरोक्त गुणों से हमारे जीवन में सफलता हमारे कदम चूमती है।

पंचामृत के लाभ : पंचामृत का सेवन करने से शरीर पुष्ट और रोगमुक्त रहता है। पंचामृत से जिस तरह हम भगवान को स्नान कराते हैं, ऐसा ही खुद स्नान करने से शरीर की कांति बढ़ती है। पंचामृत उसी मात्रा में  सेवन  करना  चाहिए,  जिस मात्रा में किया जाता है। उससे ज्यादा नही।।
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वट सावित्री व्रत 2022 तिथि मुहूर्त एवम् पूजन विधि

Astha Jyotish👉वट सावित्री व्रत कब है? 2022 में जानें डेट, शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजन 👉ज्योतिष और वास्तु समाधान 🏠Vastu Guru_ Mk.✋ 👉WP. 9...